Confusion
उलझन ज़माने से इश्क़ का ईझहार करने की तम्मन्ना दिल में है ये बेचैन दिल उलझन में है उलझन ये की उसे बताये तो कैसे बताये उलझन ये की उसे समझाए तो कैसे समझाए दिले ईझहार को छुपाये तो कैसे छुपाये हाए इझहारे दिल जताये तो कैसें जताये उसे देख कर मेरे लब्ज चुप्पी साद लेते है और उसके लब्ज न जाने क्या केह जाते है मै सुन कर भी कुछ समझ नहीं पाती मै ना समझे भी उसकी बातो में खो जाती उसकी नादान नजरे जब मेरी नजरो से टकराती मेरी नजरे तब तारे गिन आती इस डर से की कही उसने देख लिया तो समझ जायेगा मेरी उलझन पहचान जएगा पर मै उससे कुछ छुपाना नहीं चाहती बस डरती हूँ, क्युकी उसे खोना नहीं चाहती उसके साथ मै, मै नहीं रहती उसके बिना मुझे जिंदगी नहीं भाती मेरे...