barish

यु  बैठे अकेले में 

यु  बैठे अकेले में 
ठंडी हवाके झोके में 
ये कैसा एहसास होता है 
कुछ और भी याद आता है 
     यु  बैठे अकेले में 
     ठंडी हवाके झोके में 
     ये हवा क्या कह जाती है 
     होठो पर मुस्कान दे जाती है 
यु  बैठे अकेले में 
ठंडी हवाके झोके में
ये कोनसी धुन सुनाई आती है 
आँखों में नमी सी लाती है 
     यु  बैठे अकेले में 
     ठंडी हवाके झोके में
     बारिश की बुँदे आती है 
     दिल को सुंकू दे जाती है। 
कभी कभी ये जो वक़्त हम अकेले बिताते है किसी याद में या किसी ख्याल में वो वक़्त आपसब को नहीं लगता कुछ खास होता है , उसपर ये बारिश की ठंडी बुँदे, मिट्टी की मीठी खुशभु,शाम का लुभावना समय, एक जादू भर देता है। इसीलिए ये कविता उस वक़्त पर जो हम किसी और के लिए नहीं बस हमारे लिए जीते है।  

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